New Step by Step Map For Shodashi

Wiki Article



The murti, which can be also witnessed by devotees as ‘Maa Kali’ presides more than the temple, and stands in its sanctum sanctorum.  Listed here, she's worshipped in her incarnation as ‘Shoroshi’, a derivation of Shodashi.

अष्टैश्वर्यप्रदामम्बामष्टदिक्पालसेविताम् ।

The Mahavidya Shodashi Mantra aids in meditation, enhancing internal quiet and concentration. Chanting this mantra fosters a deep feeling of tranquility, enabling devotees to enter a meditative state and join with their interior selves. This reward boosts spiritual awareness and mindfulness.

ह्रीं‍मन्त्रान्तैस्त्रिकूटैः स्थिरतरमतिभिर्धार्यमाणां ज्वलन्तीं

When Lord Shiva read in regards to the demise of his spouse, he couldn’t Manage his anger, and he beheaded Sati’s father. Still, when his anger was assuaged, he revived Daksha’s everyday living and bestowed him by using a goat’s head.

An early morning bathtub is taken into account important, accompanied by adorning new outfits. The puja place is sanctified and decorated with bouquets and rangoli, developing a sacred Room for worship.

कैलाश पर्वत पर नाना रत्नों से शोभित कल्पवृक्ष के नीचे पुष्पों से शोभित, मुनि, गन्धर्व इत्यादि से सेवित, मणियों से मण्डित के मध्य सुखासन में बैठे जगदगुरु भगवान शिव जो चन्द्रमा के अर्ध भाग को शेखर के रूप में धारण किये, हाथ में त्रिशूल और डमरू लिये वृषभ वाहन, जटाधारी, कण्ठ में वासुकी नाथ को लपेटे हुए, शरीर में विभूति लगाये हुए देव नीलकण्ठ त्रिलोचन गजचर्म पहने हुए, शुद्ध स्फटिक के समान, हजारों सूर्यों के समान, गिरजा के अर्द्धांग भूषण, संसार के कारण विश्वरूपी शिव को अपने पूर्ण भक्ति भाव से साष्टांग प्रणाम करते हुए उनके पुत्र मयूर वाहन कार्तिकेय ने पूछा —

If the Shodashi Mantra is chanted with a transparent conscience along with a decided intention, it may make any wish appear legitimate for you personally.

भगवान् शिव ने कहा — ‘कार्तिकेय। तुमने एक अत्यन्त रहस्य का प्रश्न पूछा है और मैं प्रेम वश तुम्हें यह अवश्य ही बताऊंगा। जो सत् रज एवं तम, भूत-प्रेत, मनुष्य, प्राणी हैं, वे सब इस प्रकृति से उत्पन्न हुए हैं। वही पराशक्ति “महात्रिपुर सुन्दरी” है, वही सारे चराचर संसार को उत्पन्न करती है, पालती है और नाश करती है, वही शक्ति इच्छा ज्ञान, क्रिया शक्ति और ब्रह्मा, विष्णु, शिव रूप वाली है, वही त्रिशक्ति के रूप में सृष्टि, स्थिति और विनाशिनी है, ब्रह्मा रूप में वह इस चराचर जगत की सृष्टि करती है।

ह्रीङ्कारं परमं जपद्भिरनिशं मित्रेश-नाथादिभिः

कर्त्री लोकस्य लीलाविलसितविधिना कारयित्री क्रियाणां

कामाक्षीं कामितानां वितरणचतुरां चेतसा भावयामि ॥७॥

‘हे देव। जगन्नाथ। सृष्टि, स्थिति, प्रलय के स्वामी। आप परमात्मा हैं। सभी प्राणियों की गति हैं, आप ही सभी लोकों की गति हैं, जगत् के आधार read more हैं, विश्व के करण हैं, सर्वपूज्य हैं, आपके बिना मेरी कोई गति नहीं है। संसार में परम गुह्रा क्या वास्तु है?

श्रीमत्सिंहासनेशी प्रदिशतु विपुलां कीर्तिमानन्दरूपा ॥१६॥

Report this wiki page